इंदौर: गुना की 11 वर्षीय बालिका चार वर्षों से एक रहस्यमयी बीमारी से पीड़ित थी। सात साल की उम्र से उसे बार-बार बुखार, त्वचा पर चकत्ते, बाल झड़ना, मांसपेशियों में दर्द, थकान, भूख न लगना और वजन कम होने जैसे लक्षण परेशान कर रहे थे। हालत इतनी बिगड़ गई थी कि वह स्कूल भी नहीं जा पा रही थी। परिवार ने कई डॉक्टरों से संपर्क किया, पर कोई स्पष्ट निदान नहीं मिल सका।
दिसंबर 2024 में जब परिजन बच्ची को इंदौर के मेदांता अस्पताल लेकर आए, तब कंसल्टेंट रूमेटोलॉजिस्ट डॉ. गौतम राज पंजाबी ने उसकी जांच की। जांच में पता चला कि वह एक ऑटोइम्यून रोग ल्यूपस से पीड़ित है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद ही अपने अंगों पर हमला करने लगती है।
किडनी तक पहुंच चुका था असर
डॉ. पंजाबी के अनुसार, इस रोग का असर शरीर के भीतरी अंगों पर भी होता है। बच्ची की किडनी भी प्रभावित हो चुकी थी और उसके यूरिन में प्रोटीन जाने लगा था। समय पर इलाज न होता तो स्थिति डायलिसिस तक पहुंच सकती थी।
उपचार से मिली राहत
डॉ. पंजाबी ने तत्काल उपचार शुरू किया। दवाओं और इंजेक्शनों से अब बुखार, चकत्ते और बाल झड़ने की समस्या में काफी राहत है। बच्ची फिर से स्कूल जाने लगी है और सामान्य जीवन जी रही है।
महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है ल्यूपस
डॉ. पंजाबी बताते हैं कि ल्यूपस महिलाओं में पुरुषों की तुलना में 9 गुना अधिक पाया जाता है, विशेष रूप से किशोर लड़कियों में। इसके पीछे आनुवंशिक कारण हो सकते हैं, साथ ही धूप के अत्यधिक संपर्क, धूम्रपान, संक्रमण या कुछ दवाएं भी ट्रिगर बन सकती हैं। पहले इस रोग को लेकर जागरूकता कम थी, लेकिन अब सही जानकारी और समय पर इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
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