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मौत के बाद जिंदगी: पति ने पत्नी के अंगदान से कई लोगों को जीवनदान दिया

Posted on November 9, 2024

इंदौर: एक महिला के ब्रेन डेड घोषित होने के बाद उसकी दोनों किडनी और आंखें दान की गईं। इसके लिए इंदौर में शुक्रवार शाम दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए, जिनसे अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट की गईं। यह इंदौर का 58वां ग्रीन कॉरिडोर था, जो भावुकता से भरा एक असाधारण अंगदान बन गया।

भाई दूज के दिन हुए एक हादसे में पति-पत्नी दोनों घायल हो गए थे और दोनों को पास-पास के बेड्स पर अस्पताल में भर्ती किया गया था। शुक्रवार को पति ने अपनी ब्रेन डेड पत्नी की किडनी और आंखें दान करने की इच्छा जाहिर की और अंतिम विदाई से पहले उसकी मांग में सिंदूर भरकर उसे विदा किया। यह दृश्य देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं।

एक्सीडेंट के बाद महिला हुई ब्रेन डेड

अंगदान करने वाली महिला का नाम मनीषा पति भूपेंद्र राठौर (44), निवासी शाजापुर है। 3 नवंबर को भाई दूज के दिन वे अपने पति के साथ इंदौर में अपनी ननद के यहां आई थीं। वापस लौटते समय मक्सी रोड पर हुए हादसे में मनीषा गंभीर रूप से घायल हो गईं, जिसके बाद उन्हें सीएचएल अस्पताल में भर्ती किया गया। हालत बिगड़ने के बाद, 6 नवंबर को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।

ऑर्गन्स का तेजी से ट्रांसप्लांट

ऑर्गन्स को-ऑर्डिनेटर जीतू बगानी और संदीपन आर्य ने बताया कि अंगदान के हर मामले में चुनौतियां होती हैं। इस केस में 72 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद अंगदान की प्रक्रिया सफल हो पाई। सीएचएल अस्पताल के सीईओ मनीष गुप्ता, डॉ. निखिलेश जैन, और कोऑर्डिनेटर मनीषा बगानी ने परिजनों की सहमति के बाद प्राथमिकता से तैयारियां शुरू कीं।

पहला ग्रीन कॉरिडोर सीएचएल अस्पताल से राजश्री अपोलो अस्पताल तक बना, जहां 6:45 बजे भेजी गई किडनी 6:52 बजे पहुंच गई। दूसरा कॉरिडोर भी 6:45 बजे बना, जिससे दूसरी किडनी 6:50 बजे एमिनेंट अस्पताल पहुंची और तुरंत ट्रांसप्लांट शुरू हो गया।

अंगदान के प्रति जागरूकता और अंतिम यात्रा

मनीषा के अंगदान से प्रेरित होकर शाजापुर में कई जगहों पर अंगदान जागरूकता के पोस्टर लगाए गए हैं। परिवार और समाज के लोग इस प्रयास से इतने प्रभावित हुए कि मनीषा की अंतिम यात्रा रथ में निकाली गई, जो आदर्श कॉलोनी से श्मशान घाट तक गई। यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।

अंगदान से प्रेरित होकर परिवार का संदेश

मनीषा के पति भूपेंद्र राठौर, जो पेशे से शिक्षक हैं, और बेटी, जो पुणे में एक आईटी कंपनी में कार्यरत हैं, ने बताया कि उन्होंने अंगदान से प्रेरणा लेकर यह निर्णय लिया। उनका मानना है कि अंगदान से किसी और को नया जीवन देना एक श्रेष्ठ कार्य है, और लोगों को इसके लिए आगे आना चाहिए।

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