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जागरूकता और सही उपचार से मिर्गी के मरीजों को मिल सकता है नया जीवन

Posted on November 20, 2024

इंदौर: मिर्गी, जिसे एपिलेप्सी भी कहा जाता है, एक ऐसी न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जिसमें मस्तिष्क की असामान्य विद्युत गतिविधियों के कारण दौरे आते हैं। यह समस्या दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। मिर्गी के सामान्य कारणों में ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन हेमरेज, रक्त का थक्का (क्लॉटिंग), स्ट्रोक और संक्रमण शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ मामलों में यह मस्तिष्क के आंतरिक विकारों के कारण भी हो सकती है, जिसे टेम्पोरल लोब एपिलेप्सी कहा जाता है।

मेदांता अस्पताल, इंदौर के न्यूरोसर्जन डॉ. रजनीश कछारा ने बताया कि लगभग 70% मिर्गी के मरीज दवाओं से पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। हालांकि, 30% मामलों में दवाएं कारगर नहीं होतीं और ऐसे मरीजों के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। खासकर टेम्पोरल लोब एपिलेप्सी के मरीजों के लिए मिर्गी सर्जरी अब इंदौर में उपलब्ध है, जिससे कई मरीजों को नया जीवन मिला है।

मिर्गी से जुड़े भ्रम और मानसिक स्वास्थ्य

मिर्गी के बारे में जागरूकता की कमी अभी भी एक बड़ी समस्या है। कई मरीज इलाज के दौरान दवाएं बीच में ही छोड़ देते हैं, जिससे उनकी स्थिति और खराब हो सकती है। मिर्गी का असर सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। लंबे समय तक इलाज में देरी से अवसाद, तनाव और अन्य मानसिक विकार हो सकते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि मिर्गी का सही और समय पर इलाज करवाना बेहद जरूरी है। यदि मिर्गी के लक्षण नजर आएं तो उसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। यह भी देखा गया है कि मरीज दवाएं लेना बंद कर देते हैं, जिससे बाद में उनकी समस्या और गंभीर हो जाती है।

मिर्गी के लक्षण:

  • अचानक चेतना खो देना
  • शरीर में झटके आना या ऐंठन होना
  • आंखों की पुतलियों का एक जगह स्थिर हो जाना
  • कुछ सेकंड्स या मिनट्स तक खालीपन महसूस करना
  • भ्रम, चिंता और चिड़चिड़ापन

मिर्गी के कारण:

  • मस्तिष्क में चोट: सिर पर गंभीर चोट लगने से मिर्गी हो सकती है।
  • जन्मजात विकार: कुछ लोग जन्म से ही मिर्गी के खतरे में होते हैं।
  • संक्रमण: मस्तिष्क में संक्रमण, जैसे मेनिन्जाइटिस या एन्सेफलाइटिस, मिर्गी का कारण बन सकता है।
  • जीन संबंधी विकार: कुछ मामलों में यह पारिवारिक पृष्ठभूमि से जुड़ा हो सकता है।

मिर्गी एक गंभीर लेकिन नियंत्रित की जा सकने वाली स्थिति है। सही समय पर इलाज और जागरूकता से मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं। इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना और मरीजों को सही दिशा में उपचार के लिए प्रेरित करना समाज की जिम्मेदारी है।

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