देश का सबसे स्वच्छ शहर होने के बावजूद इंदौर मच्छरों के बढ़ते प्रकोप का सामना कर रहा है। पर्यावरणीय बदलावों के कारण दिसंबर की ठंड में कमी आई है, जिससे मच्छरों का प्रजनन जारी है। इसका नतीजा चिकनगुनिया और डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी के रूप में देखा जा रहा है।
रविवार को आईएमए इंदौर और आर्थराइटिस एंड बोन केयर सोसाइटी द्वारा आयोजित क्लिनिकल रूमेटोलॉजी वर्कशॉप में विशेषज्ञों ने इन बीमारियों और उनके प्रभावों पर चर्चा की।
चिकनगुनिया और गठिया का आपसी संबंध
वर्कशॉप में रूमेटोलॉजी एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव डॉ. बिमलेश धर पांडे ने बताया कि एडिस मच्छर, जो डेंगू का वाहक होता है, वही चिकनगुनिया फैलाने का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि चिकनगुनिया, विशेष रूप से उन मरीजों में जो रूमेटोलॉजिकल जीन से प्रभावित हैं, गठिया जैसी समस्याओं को ट्रिगर कर सकता है।
100 में से 13 मरीजों में चिकनगुनिया गठिया को स्थायी रूप से बढ़ावा देता है, जिससे यह जीवनभर की समस्या बन जाती है।
गठिया के निदान में जागरूकता का महत्व
आईएमए अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र पाटीदार ने कहा कि इस तरह की वर्कशॉप से डॉक्टर्स और मेडिकल छात्रों को गठिया की सही समय पर पहचान करने में मदद मिलेगी। सहारनपुर से आईं डॉ. सौम्या जैन ने कहा, “गठिया के निदान की पहली सीढ़ी जागरूकता है। मरीजों और डॉक्टर्स के बीच सही जानकारी का आदान-प्रदान गंभीर परिणामों को कम कर सकता है।”
बिलासपुर से आए डॉ. अमित दुआ ने मुख्य वक्ता के रूप में मेडिकल छात्रों को गठिया से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी।
कार्यक्रम में इन विषयों पर हुई चर्चा
कार्यक्रम के आयोजक सचिव डॉ. अक्षत पांडे ने बताया कि इस वर्कशॉप में इंदौर और आसपास के मेडिकल छात्र, फिजिशियन, ऑर्थोपेडिक्स, न्यूरोलॉजिस्ट और गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट ने भाग लिया। चर्चा के मुख्य बिंदु थे:
- जोड़ों की जांच और प्रयोगशाला परीक्षण
- हाइपरयूरिसेमिया और स्पॉन्डिलोआर्थराइटिस
- चिकनगुनिया और संक्रामक गठिया
- गठिया के निदान और उपचार में नए तरीके
एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस: पुरुषों के लिए अधिक जोखिम
नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के कंसल्टेंट रूमेटोलॉजिस्ट डॉ. नीरज जैन ने बताया कि पुरुषों में एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस का खतरा महिलाओं की तुलना में चार गुना अधिक है। यह बीमारी रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करती है।
पहले इस बीमारी का निदान करना कठिन था, लेकिन अब आधुनिक डायग्नोसिस तकनीकों से इसे समय पर पहचाना जा सकता है। बायोलॉजिकल्स के ओरल विकल्प अब उपलब्ध हैं, जो कम साइड इफेक्ट और किफायती लागत पर राहत प्रदान कर रहे हैं।
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