इंदौर वनमंडल की चार रेंज की 14 बीटों में बाघों की मौजूदगी के संकेत मिले हैं। यह जानकारी बाघ गणना से पहले की गई मॉकड्रिल के दौरान सामने आई, जिसमें बाघों के पंजों के निशान दर्ज किए गए। इसके बाद गुरुवार से औपचारिक रूप से बाघों की गणना शुरू कर दी गई है, जो महू, मानपुर और चोरल के जंगलों में अगले आठ दिनों तक चलेगी।
वन विभाग ने गणना के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। करीब 1500 नाइट विजन कैमरे विभिन्न संवेदनशील क्षेत्रों में लगाए गए हैं। डीएफओ प्रदीप मिश्रा के अनुसार मॉकड्रिल के नतीजे उत्साहजनक रहे हैं और इससे क्षेत्र में बाघों की सक्रिय आवाजाही की पुष्टि होती है। गणना पूरी होने के बाद इसकी विस्तृत रिपोर्ट लगभग 15 दिनों में तैयार की जाएगी।
गणना के दौरान बाघों के साथ-साथ अन्य वन्यजीवों की गतिविधियां भी सामने आई हैं। इंदौर रेंज के डबल चौकी और नाहर–झाबुआ क्षेत्र में लगाए गए कैमरा ट्रैप में तेंदुआ, भेड़िया, नीलगाय और चीतल जैसे वन्यजीवों की मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं। बाघों की संख्या और गतिविधियों का आकलन कैमरा ट्रैप, पगमार्क और ट्रैकिंग जैसे वैज्ञानिक तरीकों से किया जाएगा।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के दिशा-निर्देशों के अनुसार यह गणना चार चरणों में की जा रही है। पहले चरण में मैदानी सर्वे, दूसरे में रिमोट सेंसिंग से वन क्षेत्र का आकलन, तीसरे में कैमरा ट्रैप के जरिए निगरानी और चौथे चरण में सभी आंकड़ों का सांख्यिकीय विश्लेषण कर अंतिम वैज्ञानिक रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
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