इंदौर : मरणोपरांत व्यक्ति को अंगों की आवश्यकता नहीं होती, मरणोपरांत अंगदान कर व्यक्ति कई लोगों को नवजीवन दे सकता है, अंगदान एक महादान है तथा प्राप्तकर्ता के लिए एक अमूल्य उपहार है, अंगदान से अंग प्राप्त करने वाले का जीवन तो बचता ही है, उससे जुड़े परिवार के सदस्यों के लिए भी यह नई आशा की किरण है। इस वर्ष इंडियन ऑर्गन डोनेशन डे के उपलक्ष पर मेदांता सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल ने अंगदान जन जागरूकता के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया है, जिसमें शहर के विभिन्न क्षेत्रों से आये प्रबुद्ध एवं वरिष्ठ नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर के डीन और सोटो हेड डॉ संजय दीक्षित एवं सोटो के वरिष्ठ पदाधिकारीगण उपस्थिति थे।कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यक्रम के दौरान लोगों को अंगदान के फायदों, प्रक्रिया, चुनौतियां एवं भ्रांतियों के बारे जानकारी दी गई है।
शहर में जब ग्रीन कॉरिडोर बनता है तब एमजीएम मेडिकल कॉलेज मानो वार रूम में तब्दील हो जाता है। हम लोग हर पल के अपडेट लेते हैं और जहां ऑर्गन पहुंच रहा है उसकी डिमांड अनुसार ऑर्गन को सहेजने का जतन करते हैं। सबसे अधिक संघर्ष हार्ट ट्रांसप्लांट को लेकर है जिसका प्रोटोकाल फालो करना आसान नहीं होता है क्योंकि इसमें समय बेहद सीमित होता है। यह बात डीन डॉ संजय दीक्षित ने इंडियन ऑर्गन डोनेशन डे पर शुक्रवार को एक होटाल में आयोजित सेमिनार में कही। उन्होंने कहा, कौनसा ऑर्गन किनको लगना है यह सब मेरिट के आधार पर पहले से तय रहता है। इसके लिए हमारी कमेटी पूरे समय वर्कआउट करती है। इंदौर में 17 साल की नाबालिग द्वारा अपने पिता को लिवर देने का उदाहरण देते हुए डॉ डीक्षित ने कहा यह आसान नहीं था। हमने नाटो के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए इस केस में जो रास्ता निकाला उससे नाटो (नेशनल ऑर्गन ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन) के डायरेक्टर भी हतप्रद हैं। डॉ. दीक्षित ने कहा हम अंगदान में देश में चौथे नंबर पर है। इंदौर में करीब 8-9 साल पहले ‘इंदौर सोसाइटी फॉर ऑर्गन डोनेशन’ संस्था बनाई गई थी। इसमें मुस्कान ग्रुप, दधिची मिशन, एमकेआई इंटरनेशनल ने सक्रिय रूप से भागीदारी की। हम लोगों ने ग्रीन कॉरिडोर सिर्फ सड़क पर ही नहीं बल्कि एयर स्पेस में भी बनाया। शहर में पहला हार्ट ट्रांसप्लांट मेदांता में ही हुआ था।
अंगदान पीड़ित के परिजन के लिए भी वरदान-
मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल द्वारा अंगदान को लेकर आयोजित इस जन जागरूकता कार्यक्रम में शहर के विभिन्न क्षेत्रों के प्रबुद्ध एवं वरिष्ठ नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर के सोटो के वरिष्ठ पदाधिकारीगण उपस्थिति थेl इस दौरान लोगों को अंगदान के फायदों, प्रक्रिया, चुनौतियां एवं भ्रांतियों के बारे जानकारी दी गई है। यह संदेश दिया कि मरने के बाद सारे ऑर्गन मिट्टी में मिल जाना है इसलिए
अंगदान कर हम कई लोगों को नवजीवन दे सकते हैं। अंगदान से न सिर्फ पीड़ित को का जीवन बचता है, बल्कि उसके परिवार के सदस्यों के लिए भी वरदान साबित होता है।
प्लेज बोर्ड भेंट किया-
कार्यक्रम में अंगदान सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं संस्थानों के सदस्यों को प्लेज बोर्ड बांटे गए। इसमें प्लेजिंग के लिए QR स्कैनर भी संलग्न है। इसके माध्यम से अंगदान के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया और भी सरल हो गई है। अब आसानी से लोग अपने आप को अंगदान के लिए रजिस्टर कर सकेंगे।
डॉ. संदीप श्रीवास्तव, मेडिकल डायरेक्टर, मेदांता अस्पताल, इंदौर ने कहा -एक व्यक्ति अंगदान द्वारा लगभग नौ लोगों को नया जीवन दे सकता है। मैं आप सभी से अपील करता हूं कि आप अंगदान के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं। याद रखें जीवन बचाने से बड़ा कोई कर्म नहीं। आप अंगदान का संकल्प लें।
डॉ जय सिंह अरोरा, किडनी रोग विशेषज्ञ, मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने कहा -किडनी खराब होने से लाखों लोग जीवन भर डायलिसिस पर निर्भर रहने को मजबूर हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति की किडनी भी किसी के जीवन को बदल सकती है। मृत्यु के बाद किडनी दान करना एक अमूल्य उपहार है।
डॉ हरिप्रसाद यादव, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, मेदांता सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल ने कहा -मृत्यु के बाद भी हम समाज के ज़रूरतमंदों को नया जीवन दे सकते हैं। यह एक ऐसा निर्णय है जो किसी परिवार को संकट से निकाल सकता है और किसी के जीवन में उम्मीद की किरण बन सकता है।
Thank you for reading this post!