आईआईटी इंदौर ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो भारतीय सेना के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। इन्होंने ऐसे विशेष जूते बनाए हैं जो न सिर्फ सैनिकों की लोकेशन को रीयल-टाइम में ट्रैक करेंगे बल्कि हर कदम पर बिजली भी पैदा करेंगे।
कैसे काम करते हैं ये जूते?
इन जूतों में एक खास तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिसे ‘ट्राइबो-इलेक्ट्रिक नैनोजेनरेटर’ कहते हैं। ये तकनीक जूतों के तलवों में लगे विशेष पदार्थों के घर्षण से बिजली पैदा करती है। ये पैदा हुई बिजली जूतों में ही मौजूद छोटे बैटरी में स्टोर हो जाती है जिसका इस्तेमाल जीपीएस, रेडियो जैसी छोटी डिवाइसेज को चलाने के लिए किया जा सकता है।
सेना के लिए फायदे:
- लोकेशन ट्रैकिंग: इन जूतों की मदद से सेना अपने जवानों की लोकेशन को रीयल-टाइम में ट्रैक कर सकती है जिससे ऑपरेशंस को और बेहतर तरीके से मैनेज किया जा सकता है।
- स्वायत्तता: ये जूते सैनिकों को बिजली के लिए बाहरी स्रोतों पर निर्भर रहने से मुक्त करते हैं, जिससे उनकी स्वायत्तता बढ़ती है।
- सुरक्षा: खतरनाक इलाकों में ऑपरेशन के दौरान ये जूते सैनिकों की सुरक्षा को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

अन्य क्षेत्रों में उपयोग:
- बुजुर्गों और बच्चों की सुरक्षा: इन जूतों का इस्तेमाल बुजुर्गों और बच्चों की लोकेशन ट्रैक करने के लिए भी किया जा सकता है।
- खेल: एथलीट्स इन जूतों का इस्तेमाल अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए कर सकते हैं।
- औद्योगिक क्षेत्र: उद्योगों में इन जूतों का इस्तेमाल कर्मचारियों की उपस्थिति और लोकेशन ट्रैक करने के लिए किया जा सकता है।
आगे का रास्ता:
आईआईटी इंदौर इस तकनीक को और बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रहा है। भविष्य में इन जूतों को और अधिक पावरफुल बनाया जा सकता है जिससे इनका इस्तेमाल बड़ी डिवाइसेज को चलाने के लिए भी किया जा सकेगा।
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