इंदौर: विज्ञान ने चिकित्सा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं। आधुनिक तकनीक ने न केवल गंभीर बीमारियों का इलाज संभव बनाया है, बल्कि सर्जरी को भी कम जटिल बना दिया है। इसी क्रम में, केयर सीएचएल अस्पताल के डॉ. मनीष पोरवाल ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने एक 72 वर्षीय मरीज के दिल में बिना सर्जरी के एक नया कृत्रिम वाल्व प्रत्यारोपित किया है। यह मध्य भारत में अपनी तरह का पहला मामला है।
यह था केस
रमेशचंद्र शर्मा पिछले आठ वर्षों से दिल की बीमारी से जूझ रहे थे। पहले भी उनकी बायपास सर्जरी और दिल का वाल्व बदलवाया जा चुका था। लेकिन हाल ही में उनके कृत्रिम वाल्व में रिसाव होने लगा था, जिससे उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती थी। डॉ. पोरवाल ने इस बार सर्जरी के बजाय एक आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया। उन्होंने एक पतली सी नली के जरिए रोगी के दिल में पहुंचकर बिना चीर-फाड़ के ही नया वाल्व लगा दिया।
केस के बारे में डॉ. मनीष पोरवाल ने बताया
बढ़ती उम्र के साथ दिल के वाल्व खराब हो जाना आम बात है और ऐसे में इन्हें बदलने की जरूरत पड़ती है। लेकिन दूसरी सर्जरी करना बहुत जोखिम भरा होता है। इसीलिए हमने इस आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया। यह तकनीक न केवल मरीज के लिए सुरक्षित है बल्कि समय और धन दोनों की बचत भी करती है।
किस उम्र में होती है दिल का वाल्व बदलने की जरूरत?
दिल का वाल्व खराब होने की कोई निश्चित उम्र नहीं होती। यह किसी भी उम्र में हो सकता है। युवाओं में आमतौर पर संक्रमण के कारण वाल्व खराब होते हैं, जबकि बुजुर्गों में उम्र के साथ वाल्व कमजोर हो जाते हैं।
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