इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) की महत्वाकांक्षी फॉरेस्ट सिटी परियोजना ने शहर को एक नई पहचान दी है। स्कीम नंबर 78 में लगाए गए साढ़े सात हजार पौधे अब हरे-भरे पेड़ों में तब्दील हो चुके हैं। यह परियोजना शहर में हरियाली बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
मियावाकी पद्धति का जादू
आईडीए ने मियावाकी पद्धति का उपयोग करते हुए इस परियोजना को सफल बनाया है। इस पद्धति के तहत छोटी सी जगह में भी घने जंगल उगाए जा सकते हैं। नीम, पीपल, बड़ जैसे देसी पेड़ों को लगाकर एक छोटे से क्षेत्र में ही एक पूरा जंगल तैयार किया गया है।
एक साल में हुआ कमाल
मात्र एक साल में ही इस परियोजना ने शहर के सौंदर्य को बढ़ा दिया है। पौधे अब पल्लवित हो चुके हैं और क्षेत्र का वातावरण शुद्ध हो रहा है। आईडीए के मुख्य कार्यपालक अधिकारी आरपी अहिरवार ने बताया कि इस परियोजना के सफल होने के पीछे लगातार देखभाल और मियावाकी पद्धति का सही उपयोग है।
शहर में बढ़ रही हरियाली
आईडीए ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में 10 गार्डन में भी मियावाकी पद्धति से पौधे लगाए हैं। यह प्रयास शहर को हरा-भरा बनाने की दिशा में एक और कदम है।
इंदौर का हरियाली मॉडल
इंदौर की यह फॉरेस्ट सिटी परियोजना देश के अन्य शहरों के लिए एक मॉडल बन सकती है। इस परियोजना ने दिखाया है कि कैसे थोड़ी सी मेहनत और सही तकनीक से शहरों को हरा-भरा बनाया जा सकता है।
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