Indore : इंदौर के नादयोग गुरुकुल ने, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य की समृद्ध परंपरा का संरक्षक है, अपने वार्षिक “नाद महोत्सव” का भव्य आयोजन किया। इस वर्ष महोत्सव ने अपनी 31वीं वर्षगांठ पर भारतीय सांस्कृतिक विरासत का उत्कृष्ट प्रदर्शन प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री राजेश चेलावत के साथ विशिष्ट अतिथियों श्री शेखर शुक्ले और श्रीमती कांचन तारे ने समारोह की शोभा बढ़ाई। इस अवसर पर श्री शिवाश पटेल और सुमित मालवीया को प्रतिष्ठित नादयोगी सम्मान से विभूषित किया गया। नृत्यांगना हिनल परमार और आंचल जैन को युवा कला सम्मान प्रदान किया गया, साथ ही ग्यारह प्रतिभाशाली कलाकारों को नादयोग रत्न से सम्मानित किया गया।
समारोह का शुभारंभ गणेश वंदना से हुआ, जिसके पश्चात कृष्ण, शिव और देवी स्तुति की मनमोहक प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को विमुग्ध कर दिया। बाल कलाकारों द्वारा प्रस्तुत “मेरे कान्हा”, “महागणपतिम”, “आत्म राम”, “मेरी आपकी कृपा” और “नमो नमः” जैसी भक्तिमय रचनाओं ने सबका मन मोह लिया।
डिजिटल युग के अनुरूप, ऑनलाइन बैच के विद्यार्थियों की प्रस्तुतियां भी डिजिटल माध्यम से दिखाई गईं, जो इस बात का प्रमाण थीं कि सीखने की तीव्र इच्छा होने पर भौगोलिक सीमाएं बाधक नहीं बनतीं। महोत्सव की विशेष प्रस्तुतियों में “नागर नंद जी के लाल”, “शिवनाद”, “शिवाय”, “डाकला”, “अगम”, और “जयति जयति” ने दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम का समापन “चला वाही देश” नामक अप्रत्याशित प्रस्तुति से हुआ, जिसने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। डॉ. रागिनी मक्कम का एकल प्रदर्शन ‘योग शिव तत्व – द ऑर्बिट ऑफ रिदम’ ने योग के गूढ़ सिद्धांतों को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने दर्शाया कि शिव तत्व का अनुभव केवल ध्यान और प्राणायाम के माध्यम से ही संभव है।
संगीत विभाग ने गौतमसिंह राज और जयवंत मक्कड़ के नेतृत्व में विभिन्न रागों की शास्त्रीय प्रस्तुतियां दीं। जयवंत मक्कड़ के उच्चस्तरीय ड्रम वादन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का कुशल संचालन अनुराग जैन ने किया, जबकि स्वागत भाषण नादयोग की हेड गर्ल तन्वी शाह ने दिया।
इस वर्ष के महोत्सव में योग और आधुनिक नवाचारों का अद्भुत समन्वय देखने को मिला, जिसने समारोह को एक नया आयाम प्रदान किया। नाद महोत्सव ने एक बार फिर भारतीय कला और संस्कृति की समृद्ध विरासत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, और प्रत्येक उपस्थित व्यक्ति के हृदय में अमिट छाप छोड़ी।
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