इंदौर। 21वी सदी यानि दौड़ते भागते कम्प्युटर युग में लोग दिमागी गतिविधियों की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं, पर इसके साथ साथ दिमाग से जुड़ी बीमारियाँ भी दोगुनी होती जा रही है जिसमे सबसे पहला नाम ब्रेन ट्यूमर का आता है। लोग इससे इसलिए भी ज्यादा डरते हैं क्योंकि वे इससे अनजान हैं। दुनियाभर में 8 जून को विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाया जाता। इस दिवस को मनाने का मकसद यही है कि लोग ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर समस्या के बारे में जानें और जागरूक हों। हर साल यह दिन एक ख़ास थीम के साथ मनाया जाता है इस वर्ष की ब्रेन ट्यूमर डे की थीम ‘ब्रेन ट्यूमर एंड प्रिवेंशन’ है ताकि बड़ते ब्रेन ट्यूमर के मामलों पर अंकुश लगाया जा सके। इसी कड़ी में मेदांता सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल इंदौर ने जनता को जागरूक किया l
मेदांता सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल इंदौर के न्यूरोसर्जन डॉ रजनीश कछारा ब्रेन ट्यूमर को आसान भाषा में समझाते हैं, “हमारे शरीर व मष्तिष्क में सेल्स (कोशिकाएं) लगातार विभाजित होती रहती हैं, जो कोशिकाएं मरती हैं उनकी जगह नई कोशिकाएं जन्म ले लेती हैं। तेजी से विभाजित होने वाली कोशिकाएं एक गाँठ का रूप ले लेती है, जिसे ट्यूमर कहा जाता है। यह इतना खतरनाक है कि अगर समय पर इलाज न मिले तो यह स्थिति मृत्यु का भी कारण बन सकती है। अगर किसी व्यक्ति को लगातार सिर दर्द एवं उल्टी की समस्या है खासकर सुबह नींद से जागने के बाद तो ब्रेन ट्यूमर का प्रारंभिक लक्षण माना जाता है, लेकिन मुख्यतः ट्यूमर के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि ट्यूमर का स्थान, आकार और प्रकार क्या हैं। अलग अलग मरीजों में अलग अलग लक्षण हो सकते हैं जैसे व्यक्तित्व में परिवर्तन, दिखाई देने में समस्या, याददाश्त का कमजोर होना, मूड स्विंग्स, शरीर के एक तरफ जकड़न, सिरदर्द, मिर्गी रोग, असंतुलन, जी मिचलाना, थकान, चिंता या अवसाद, संवाद करने में कठिनाई आदि। यदि आपको ऐसा कोई लक्षण दिखाई डे रहा है तो आपको बिना किसी देरी के डॉ से संपर्क करना चाहिए ये ब्रेन ट्यूमर के लक्षण हो सकते हैं।
ब्रेन ट्यूमर अलग- अलग प्रकार के हो सकते हैं, लोगों में यह भ्रान्ति है कि ब्रेन ट्यूमर कैंसर होते हैं लेकिन ऐसा नहीं है हालाकिं कुछ ब्रेन ट्यूमर कैंसर हो सकते हैं पर हर ट्यूमर कैंसर हो यह जरुरी नहीं है। अगर ट्यूमर ब्रेन में ही बनना शुरू होता है तो उसे प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहा जाता हैं। लेकिन यह शरीर के दूसरे अंग से शुरू होकर ब्रेन तक पहुंचता है तो उसे सेकेंडरी या मेटास्टैटिक ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। ब्रेन ट्यूमर बच्चों से लेकर बूढों तक किसी भी उम्र में हो सकता है, उम्र बढ़ने के साथ साथ ब्रेन ट्यूमर का खतरा भी बढ़ता जाता है।
इसके अलावा ब्रेन ट्यूमर के दो प्रकार सौम्य और मैलिग्नैंट होते हैं-
- सौम्य ट्यूमर (बिनाइन ट्यूमर) सादा गठान: सौम्य ट्यूमर वह ट्यूमर है जो कैंसर से प्रभावित नहीं होता। गैर-कैंसर ट्यूमर पूरे शरीर में विस्तारित होने में असमर्थ होते हैं। एक कैंसर ट्यूमर गंभीर होता है, जिसे प्राथमिकता से वास्तविक तंत्रिका, मुख्य धमनी पर दबाने या मस्तिष्क के अंदर की संकुचितता के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है। सौम्य ट्यूमर उपचार के लिए अच्छी प्रतिक्रिया देता है और रोग का निदान आमतौर पर संभव होता है।
- मैलिग्नैंट ब्रेन ट्यूमर: मैलिग्नैंट ट्यूमर को कैंसर ट्यूमर भी कहा जा सकता है, मैलिग्नैंट ट्यूमर अस्थिर होते हैं। यह लगभग 50 प्रतिशत कैंसर मरीजों में पाया जाता है। सामान्यतः ब्रेन में होने वाला यह ट्यूमर शरीर के अन्य अंगों तक भी जा सकता है। इसका इलाज को संभव है लेकिन पूर्ण निदान संभव नहीं है, इससे पीड़ित व्यक्ति किसी विशेष स्तिथि में ही जी पाते हैं।
ऐसे बहुत सारे टेस्ट हैं जिनसे ब्रेन ट्यूमर को पहचाना जा सकता है:
- सीटी स्कैन – यह प्राथमिक जांच है जहाँ सीटी स्कैन की मदद से ब्रेन के अंदर के सभी पार्ट की फोटोज ली जाती है. एवं उन्हें बारीकी से जांचा जाता है।
- एमआरआई स्कैन- ब्रेन ट्यूमर के सही इलाज के लिए जरुरी है कि इसके आकार प्रकार का पता चले इसलिए सबसे पहले एमआरआई स्कैन से इमेजिंग टेस्ट किए जाते हैं। इसमें रेडियो सिग्नल की मदद से ब्रेन की संरचना से संबंधित सभी जानकारी ली जाती है। एमआरआई ब्रेन ट्यूमर के सटीक आंकलन के लिए जरुरी है, इसी के आधार पर ऑपरेशन प्लानिंग निर्भर करती है।
ब्रेन ट्यूमर के उपचार:
- मैक्सिमल सेफ रिसेक्शन: किसी ब्रेन ट्यूमर को पूरी तरह से ख़त्म करना अच्छा होता है लेकिन इसके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं, जैसे लकवाग्रस्त होना, आवाज़ जाना या मुंह टेढ़ा होना। उपचार की यह विधि काफी कठिन होती है, मैक्सिमल सेफ रिसेक्शन के लिए सारी साधन सुविधाएं एवं सर्जन का अनुभव काफी हद तक मायने रखता है। इसके अलावा अच्छी ऑपेरेटिंग रूम फेसिलिटी, न्यूरोनेविगेशन सिस्टम, ऑप्टिमाइज्ड एमआरआई ब्रेन सेगमेंट और फ्लोरेसेंस गाइडेड रिसेक्शन का भी होना बेहद आवश्यक है। इंदौर के मेदांता सुपरस्पेशलिटी इंदौर में यह सुविधाएं उपलब्ध हैं जिससे मरीज को बेहतर देखभाल और सम्पूर्ण उपचार प्राप्त हो सके। मेदांता में हम मानवीयता और करुणा के साथ मरीजों का इलाज करते हैं ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़े और वे ब्रेन के बड़े ऑपरेशन के लिए तैयार हो सके, हमारी इस कोशिश का सकारात्मक प्रभाव उनकी रिकवरी में भी दिखाई देता है।
- सर्जरी: ब्रेन ट्यूमर के लिए यह सबसे आम एवं प्राथमिक उपचार है जिसमें सर्जन स्वस्थ मस्तिष्क के टिश्यु को नुकसान पहुँचाए बिना अधिक से अधिक कैंसर सेल्स को हटाने की कोशिश करता है लेकिन इसमें मरीज को रक्तस्राव और संक्रमण जैसे दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
- मिनिमली इनवेसिव सर्जरी: इसमें न्यूरोसर्जन कैंसर कोशिकाओं को हटाने के लिए न्यूनतम इनवेसिव तकनीकों का उपयोग करते हैं इसमें मरीज जल्दी और प्रभावी रूप से ठीक होता है।
- रेडिएशन थेरेपी: कई बार ब्रेन ट्यूमर के उपचार में ट्यूमर कोशिकाओं को मारने के लिए एक्स-रे या प्रोटॉन बीम जैसे विकिरण का उपयोग किया जाता है जिसमे मरीज को एक मशीन के सामने बैठाकर एक सुरक्षात्मक आवरण पहनाया जाता है, इस थेरेपी के साइड-इफेक्ट्स भी हैं जिसमे थकान, याददाश्त में कमी, सिरदर्द शामिल हैं।
- कीमोथेरपी: इस प्रक्रिया में दवाओं को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है या मौखिक रूप से दिया जाता है और वे ट्यूमर कोशिकाओं को निशाना बनाकर मार देती हैं। कीमोथेरेपी के बाद मरीज में बालों का झड़ना, उल्टी, मतली और थकान जैसे दुष्प्रभाव देखे जा सकते हैं।
- टार्गेटेड थेरेपी: कुछ ब्रेन ट्यूमर का इलाज केवल दवाओं से किया जा सकता है जहाँ ट्यूमर कोशिकाओं में विशिष्ट असामान्यताओं को अवरुद्ध करके लक्षित कर कैंसर कोशिकाओं को मारा जाता है।
- रेडियो सर्जरी: यह उपचार का तरीका कुछ हद तक रेडिएशन थेरेपी के समान ही है इस उपचार में ट्यूमर कोशिकाओं को मारने के लिए विकिरण के कई बीमों को ब्रेन ट्यूमर पर फोकस्ड किया जाता है एवं इलाज के लिए लीनियर एक्सेलरेटर और गामा नाइफ जैसी विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
न्यूरोसर्जन डॉ कछारा कहते हैं कि अगर आप स्वस्थ हैं और चाहते हैं कि ब्रेन ट्यूमर जैसी बीमारियों से बचें रहें तो आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए –
- शारीरिक गतिविधि: योग, ध्यान, प्राणायाम, नियमित व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों को अपनी जीवनशैली में शामिल करें। यह मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और निरोगी रहने में मदद करते हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य: अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। ज्यादा स्ट्रेस न लें , आराम और मनोरंजन के लिए समय निकालें। हेल्थी डाइट लें, जंक फ़ूड एवं वर्टिकुलर पॉल्यूशन से दूर रहें।
- नियमित चिकित्सा जांच: नियमित चिकित्सा जांचों का पालन करें और अपने डॉक्टर से नियमित रूप से मिलें। यह आपके स्वास्थ्य का निरीक्षण करने और दिक्कतों को पहचानने में मदद करेगा।
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