इंदौर। केयर सीएचएल अस्पताल, इंदौर ने चिकित्सा क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यहां पहली बार सल्फास जहर से पीड़ित मरीज का जीवन वीए-एक्मो (VA-ECMO) तकनीक की मदद से बचाया गया। यह मामला बेहद गंभीर और चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि सल्फास जहर खाने की स्थिति में मृत्यु दर 99% से अधिक होती है और इसका कोई निश्चित एंटीडोट उपलब्ध नहीं होता।
57 वर्षीय मरीज ने सल्फास की दो गोलियां खा ली थीं और अस्पताल लाए जाने तक उसकी हालत नाजुक थी। क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. निखिलेश जैन और कार्डिओथोरासिक विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष पोरवाल ने बताया कि मरीज को जब भर्ती किया गया तब उसका ब्लड प्रेशर तक मापा नहीं जा सका और वह कार्डियोजेनिक शॉक में था। शुरू में दवाइयों से ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने का प्रयास किया गया, लेकिन अपेक्षित सुधार न दिखने पर परिजनों की सहमति से मरीज को वीए-एक्मो सपोर्ट पर रखा गया।
वीए-एक्मो तकनीक में मशीन हृदय और फेफड़ों का काम अपने हाथ में ले लेती है, जिससे अंगों को आराम मिल सके और धीरे-धीरे स्थिति बेहतर हो। इस उपचार से मरीज 5 दिनों में स्थिर हो गया और अंततः सफलतापूर्वक एक्मो से हटा लिया गया। डॉक्टरों ने बताया कि यह उपलब्धि अस्पताल की इंटेंसिव केयर और कार्डियोथोरासिक सर्जरी टीम के सामूहिक प्रयास का परिणाम है।
अस्पताल के सीओओ श्री मनीष गुप्ता ने कहा, “केयर सीएचएल अस्पताल हमेशा उन्नत तकनीक और विशेषज्ञता के जरिए जीवनरक्षा के प्रयासों में अग्रणी रहा है। यह केस हमारे समर्पण और क्षमता का प्रमाण है। टीमवर्क और सही तकनीक से नामुमकिन दिखने वाले मामलों में भी सफलता मिल सकती है। इस उपलब्धि से अस्पताल ने नई ऊंचाई हासिल की है और उम्मीद है कि भविष्य में सल्फास विषाक्तता जैसे गंभीर मामलों में भी वीए-एक्मो जीवनरक्षक उपाय के रूप में अपनाया जाएगा।”
इस सफलता में डॉ. विजय महाजन, डॉ. राजेश कुकरेजा, डॉ. शुभाष रेड्डी, डॉ. अक्षत शाह, डॉ. विशाल कोष्टा, श्री मनोज त्रिपाठी और श्री अजय श्रीवास्तव का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।
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