केंद्रीय विद्यालय की सेवानिवृत्त प्राचार्या नंदनी चिपलुनकर को 27 मई को एक महिला का कॉल आया। उसने खुद को जांच एजेंसी TRAI (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) की कर्मचारी बताकर नंदनी से कहा कि उनके नाम पर एक सिम कार्ड रजिस्टर्ड है, जिससे गलत कार्य किए जा रहे हैं। साथ ही उसने उनकी सिम कार्ड बंद करने की धमकी भी दी।
नंदनी द्वारा कारण पूछने पर उस महिला ने उन पर जेट एयरवेज के मालिक के साथ संबंध होने का आरोप लगाया। नंदनी के इंकार करने पर महिला ने कॉल ट्रांसफर कर दिया, जहाँ एक व्यक्ति ने खुद को कोलाबा स्टेशन के डीसीपी अनंत कुमार आर्य बताकर बात की। उन्होंने नंदनी को बताया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की 267 शिकायतें दर्ज हैं। नंदनी के फिर इंकार करने पर उन्होंने एक और बार कॉल ट्रांसफर कर दिया।
इस बार एक महिला ने खुद को सीबीआई की अफसर रश्मि शुक्ला बताकर बात की। नंदनी द्वारा सभी आरोपों को गलत बताने पर, उस महिला ने नंदनी को वीडियो कॉल किया और घर से कहीं बाहर न जाने के लिए कहा। साथ ही उन्हें धमकाया कि अगर वे निर्दोष हैं तो अपने बैंक खाते की जानकारी दें और एक करोड़ रुपये उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करें।
इससे घबरा कर नंदनी ने अपनी 50 लाख की सेविंग्स और 52 लाख की एफडी तोड़कर पैसे ट्रांसफर करने की बात मानी।
जब पीड़िता अपनी एफडी तुड़वाने बैंक पहुंची, तब बैंक मैनेजर गीतांजलि गुप्ता ने इतनी बड़ी राशि ट्रांसफर करने पर संदेह जताया और नंदनी से कहा कि सर्वर डाउन है। नंदनी के जाते ही उन्होंने क्राइम ब्रांच को इस घटना की जानकारी दी और एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया को कॉल कर सूचित किया।
क्राइम ब्रांच के अधिकारी नंदनी के घर पहुंचे, उनसे इस विषय में बातचीत की और बताया कि वे ठगी का शिकार हो रही थीं।
डीसीपी दंडोतिया ने उन्हें समझाया कि वे ‘डिजिटल अरेस्ट’ के जाल मे फस रही थी।
डीसीपी दंडोतिया ने बताया कि ठगों ने 34 घंटों से नंदनी को वीडियो कॉल के जरिए मानसिक रूप से बंधक बना रखा था। उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद पुलिस अब लोगों को साइबर क्राइम के बारे में जागरूक करेगी।
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