इंदौर: स्वस्थ हड्डियां स्वस्थ जीवन की नींव हैं। आयु बढ़ने के साथ हड्डियों को कैल्शियम, विटामिन और प्रोटीन की अधिक आवश्यकता होती है। इन पोषक तत्वों की कमी से हड्डियां कमजोर होकर ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों का कारण बन सकती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 50 वर्ष से अधिक आयु की हर तीसरी महिला और हर पांचवा पुरुष ऑस्टियोपोरोसिस से प्रभावित है। इस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मुद्दे के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अक्टूबर में ‘विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस’ मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है – ‘Say No to Fragile Bones’ (कमजोर हड्डियों को कहें ना)।
मेदांता हॉस्पिटल के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अविनाश मंडलोई का कहना है, “ऑस्टियोपोरोसिस एक प्रगतिशील बीमारी है जो हड्डियों को क्रमिक रूप से कमजोर करती है। यह समस्या विशेषकर रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में अधिक देखी जाती है। तंबाकू सेवन, अत्यधिक मदिरापान और व्यायाम की कमी इस रोग का जोखिम बढ़ाते हैं।”
चिंता का विषय
- बुजुर्गों में कूल्हे और रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर का बढ़ता खतरा
- पारिवारिक इतिहास वाले व्यक्तियों में उच्च जोखिम
- प्रथम लक्षण के रूप में फ्रैक्चर का होना
- शरीर का झुकना और पीठ-कमर में दर्द जैसे संकेत
डॉ. मंडलोई के अनुसार रोकथाम और उपचार के प्रमुख सुझाव:
- BMD और DEXA स्कैन द्वारा नियमित जांच
- दूध, दही, पनीर जैसे कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन
- सूर्य के प्रकाश से विटामिन डी की प्राप्ति
- नियमित जॉगिंग और योग
- चिकित्सक द्वारा निर्धारित दवाओं का नियमित सेवन
समय पर उचित देखभाल और उपचार से ऑस्टियोपोरोसिस को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे हड्डियों के टूटने का जोखिम कम होता है।
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