इंदौर: विश्व भर में हृदय संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। भारत में भी यह चिंता का विषय है। 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में हृदय रोग एक आम समस्या बन गई है। लोगों को हृदय रोग और उनसे बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 29 सितंबर को ‘विश्व हृदय दिवस’ मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम ‘यूथ हार्ट फॉर एक्शन’ है, जिसका उद्देश्य लोगों को अपने हृदय और उससे संबंधित बीमारियों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना है। इस संदर्भ में, केयर सीएचएल अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट ने लोगों को हृदय रोग और उनसे बचाव के उपायों के बारे में जानकारी दी।
केयर सीएचएल अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नितिन मोदी ने हृदय रोगों से होने वाली मौतों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि बदलती जीवनशैली, खानपान में परिवर्तन, तनाव, शारीरिक गतिविधि में कमी और धूम्रपान जैसे कारक हृदय रोग के प्रमुख कारण हैं। विशेष रूप से 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में हृदय रोग एक सामान्य समस्या है। हृदय वाल्व रोग तब होता है जब हृदय के एक या अधिक वाल्व ठीक से खुल या बंद नहीं हो पाते, जिससे शरीर में रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है।
हृदय वाल्व रोग के लक्षणों में हृदय की धड़कन में अनियमितता आमतौर पर पहला लक्षण होता है। इसके अलावा सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, थकान, बेहोशी, पैरों में सूजन और अनियमित हृदय गति शामिल हैं।
अधिक जोखिम वाले व्यक्ति:
डॉ. मोदी के अनुसार, 40 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति जिन्हें उच्च रक्तचाप, मधुमेह, या कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां हैं, उन्हें दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक होता है। आनुवंशिकता भी एक कारक हो सकती है। हृदय रोग से बचने के लिए लोगों को नियमित रूप से ईसीजी और टीएमटी करवाते रहना चाहिए। दैनिक आहार पर विशेष ध्यान देना, प्रतिदिन 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि के साथ कम से कम 10,000 कदम चलना, युवाओं को जिम और वृद्धों को टहलना चाहिए। जिम जाने से पहले डॉक्टरों से सलाह लेनी चाहिए। नियमित व्यायाम करने वालों में हृदय संबंधी बीमारियों की संभावना काफी कम हो जाती है।
स्वस्थ हृदय के लिए संतुलित आहार:
डॉ. मोदी ने बताया कि आहार में लिक्विड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होनी चाहिए। कार्बोहाइड्रेट की मात्रा 50-60%, प्रोटीन की मात्रा लगभग 20% होनी चाहिए। खाने में ताजे फल और सलाद का उपयोग करें। तेल और घी जैसी वसायुक्त चीजों का सेवन कम करें, जंक फूड और अधिक नमक से बचें। शारीरिक गतिविधि के अनुसार आहार योजना बनाएं।
हृदय रोग के निदान के लिए परीक्षण:
हृदय रोग के परीक्षण के लिए मुख्य रूप से ईसीजी, एक्स-रे, इकोकार्डियोग्राफी और ट्रेडमिल टेस्ट किए जाते हैं। इसके अलावा हीमोग्लोबिन, क्रिएटिनिन, और शुगर की जांच भी आवश्यक होती है। केयर सीएचएल अस्पताल में हृदय की धमनियों में कैल्शियम जमा होने पर उसे साफ करने के लिए रोटेबलेशन और आईवीएल जैसी प्रक्रियाएं की जाती हैं। कई बार वृद्ध मरीज बाईपास सर्जरी नहीं करवाना चाहते या उनके लिए यह संभव नहीं होता, ऐसी स्थिति में नई तकनीकों द्वारा एंजियोप्लास्टी की जाती है।”
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