इंदौर: एक छोटी सी आदत छोड़कर हम अपनी जिंदगी में कई साल जोड़ सकते हैं। हर छोड़ी हुई सिगरेट हमें एक लंबी, स्वस्थ और खुशहाल जिंदगी की ओर ले जाती है। इसी संदेश को प्रसारित करने के लिए हर साल मार्च के दूसरे बुधवार को ‘नो स्मोकिंग डे’ मनाया जाता है। इस वर्ष, यह दिन 12 मार्च को मनाया जाएगा, जिसका उद्देश्य लोगों को धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रेरित करना और इसके गंभीर दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करना है। तंबाकू और सिगरेट के सेवन से हर साल लाखों लोग घातक बीमारियों के शिकार होते हैं, जिससे न केवल उनका जीवन प्रभावित होता है, बल्कि उनके परिवार पर भी इसका गहरा असर पड़ता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, तंबाकू और सिगरेट के उपयोग से हर साल 80 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें 13 लाख लोग सेकेंड-हैंड स्मोकिंग का शिकार होते हैं। धूम्रपान टाइप 2 डायबिटीज और लंग कैंसर का खतरा बढ़ाता है, लेकिन इसे छोड़ने से डायबिटीज का जोखिम 30-40% तक कम किया जा सकता है। हालांकि धूम्रपान रोकने के प्रयासों से इसकी खपत घटी है, लेकिन युवा पीढ़ी में इसका बढ़ता उपयोग अब भी चिंता का विषय बना हुआ है।
मेदांता सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, इंदौर के एसोसिएट कंसल्टेंट, रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. तनय जोशी ने बताया, “धूम्रपान की लत को छोड़ना मुश्किल नहीं है, बस जरूरत है दृढ़ संकल्प की। यह न केवल फेफड़ों के लिए हानिकारक है, बल्कि हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का प्रमुख कारण भी है। हर साल लाखों लोग तंबाकू के कारण असमय मृत्यु का शिकार हो जाते हैं। इस वर्ष ‘नो स्मोकिंग डे’ हमें याद दिलाता है कि अब समय आ गया है इस आदत को हमेशा के लिए अलविदा कहने का। तंबाकू छोड़ने का हर प्रयास आपके स्वास्थ्य को सुधारने और जीवन को लंबा करने में सहायक होता है।”
डॉ. जोशी आगे कहते हैं, “इस वर्ष 12 मार्च 2025 को मनाए जाने वाले ‘नो स्मोकिंग डे’ की थीम ‘टेकिंग बैक योर लाइफ’ हमें यह अहसास कराती है कि धूम्रपान छोड़ना केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि मानसिक और आर्थिक रूप से भी लाभदायक है। सिगरेट छोड़ने से फेफड़े मजबूत होते हैं, हृदय रोगों का खतरा कम होता है और जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है। यदि आप धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं, तो खुद से यह सवाल जरूर करें—सिगरेट या परिवार? सिगरेट छोड़ने के लिए निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी (NRT) जैसी सहायता लें और जो लोग इस लत का शिकार हैं, उन्हें भी इसके दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करें।”
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