शहर की जीवनदायिनी नदियाँ कान्ह और सरस्वती की दयनीय स्थिति पर चिंता जताते हुए, उनके पुनरुद्धार की मांग को लेकर रविवार को कृष्णपुरा छत्री गेट पर एक बड़ा मौन प्रदर्शन किया गया। ‘अभ्यास मंडल’ द्वारा आयोजित इस प्रदर्शन में शहर के कई प्रमुख नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण प्रेमी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
सुबह से ही लोग कृष्णपुरा छत्री पर इकट्ठा होना शुरू हो गए थे। यह मौन धरना दो घंटे से अधिक समय तक पूरी तरह से शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से चला। प्रदर्शनकारियों ने मौन रहकर यह संदेश दिया कि “शहर को उसकी नदियाँ वापस चाहिए, क्योंकि यही उसकी सांस्कृतिक विरासत और पर्यावरणीय संतुलन की कुंजी हैं।” हाथों में तख्तियां लिए लोगों ने नदियों के महत्व को उजागर किया।
अभ्यास मंडल के सदस्यों ने इस मौके पर कहा कि ये नदियाँ इंदौर की पहचान हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब तक कान्ह और सरस्वती अपने मूल स्वरूप में नहीं लौटतीं, शहर का पर्यावरणीय संतुलन अधूरा ही रहेगा। इस मौन सत्याग्रह के माध्यम से, नदियों को बचाने के लिए एक जन-आंदोलन चलाने की मांग की गई, ताकि यह केवल एक सरकारी योजना न रहकर एक व्यापक सामाजिक अभियान बन सके। उनका कहना था कि यह प्रयास न सिर्फ नदियों की रक्षा के लिए है, बल्कि शहर की आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए भी एक गंभीर संकल्प है।
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