देश में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मुद्दे पर चर्चा और जन जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आज इंदौर में एक दिवसीय छात्र सम्मेलन का आयोजन किया गया। शहर के लता मंगेशकर सभागृह में हुए इस सम्मेलन में प्रदेश भर से 600 से अधिक छात्र नेता और 500 से ज्यादा स्थानीय छात्र शामिल हुए।
सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से होने वाले संभावित लाभों को छात्रों के बीच रखना था। मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि यदि देश में सभी चुनाव एक साथ कराए जाते हैं, तो लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत हो सकती है, जो भारत सरकार के आधे से ज्यादा स्वास्थ्य बजट के बराबर है। उन्होंने कहा कि यह केवल पैसे की नहीं, बल्कि समय, संसाधनों और प्रशासनिक व्यवस्था को सुगम बनाने की भी बात है।
आयोजन से जुड़े डॉ. रोहिन रॉय ने कहा कि छात्र समुदाय समाज में एक बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखता है, और इसी सोच के साथ ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मुद्दे पर जन जागरण के लिए यह पहला सम्मेलन इंदौर में आयोजित किया गया है।
इस सम्मेलन को संबोधित करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल और प्रदेश के प्रभारी महेंद्र जी सहित कई वरिष्ठ नेता और वक्ता मौजूद रहे, जिन्होंने छात्रों को इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय विषय पर मार्गदर्शन दिया। यह सम्मेलन विभिन्न सत्रों में आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों ने इस विषय पर अपने विचार रखे और चर्चा की।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अनुसार, ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी पार्टी को होगा तो वो स्वयं भाजपा को ही होगा। उनका तर्क है कि भाजपा एक कैडर-आधारित पार्टी है, जिसके कार्यकर्ता एक राज्य से दूसरे राज्य में जाकर चुनाव प्रचार करते हैं। जैसे गुजरात चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश के कार्यकर्ता वहां जाते हैं, और बिहार चुनाव में गुजरात के कार्यकर्ता काम करते हैं।
Thank you for reading this post!