इंदौर-मनमाड़ रेल परियोजना को धरातल पर उतारने की प्रक्रिया तेज हो गई है। 309 किमी लंबी इस रेल लाइन का 170.56 किमी हिस्सा मध्य प्रदेश में होगा, जो धार, खरगोन और बड़वानी जिलों से होकर गुजरेगा। अक्टूबर माह से इस परियोजना का जमीनी सर्वे शुरू होगा। इसमें रेल मार्ग में आने वाले किसानों की भूमि के खसरे चिह्नित किए जाएंगे, नपती कर निशान लगाए जाएंगे और भूमि का रकबा दर्ज किया जाएगा। इंदौर जिले के महू क्षेत्र के 18 गांवों – खेड़ीमुरार, कादमपुर, खुदालपुरा, कुराड़ा खेड़ी, नांदेड, जामली, बेरछा, खेड़ी, गवली पलासिया, अहिल्यापुर, चेनपुरा, आशापुर, मालेंडी, कोदरिया, बोरखेड़ी, चौरड़िया, न्यू गुराड़िया, कैलोद और महू शहरी क्षेत्र – इस परियोजना से प्रभावित होंगे। खसरे के प्रकाशन के दौरान किसी प्रकार की त्रुटि न हो, इसके लिए भूमि स्वामियों के नामों की जांच पहले ही की जा चुकी है। रेलवे ने सर्वे का काम दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
इस परियोजना के लिए 2023 में 2 करोड़ रुपए की टोकन राशि जारी की गई थी और डीपीआर-सर्वे पूरा किया गया। 2024 के बजट में एक हजार रुपए की टोकन राशि मिलने के बाद अब 18,036 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्राप्त हुई है। मध्य प्रदेश में इस लाइन के लिए कुल 905 हेक्टेयर निजी भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। राज्य में 18 स्टेशन बनेंगे, जिनमें महू, कैलोद, कमदपुर, झाड़ी बरोदा, सराय तालाब, नीमगढ़, चिक्तायाबड़, ग्यासपुरखेड़ी, कोठड़ा, जरवाह, अजंदी, बघाड़ी, कुसमारी, जुलवानिया, सलीकलां, वनिहार, बवादड़ और मालवा शामिल हैं।
नई रेल लाइन बनने से इंदौर से मुंबई की दूरी 828 किमी से घटकर लगभग 640 किमी रह जाएगी, जिससे यात्रा में करीब 5 घंटे की बचत होगी। वर्तमान में यात्रियों को मुंबई जाने के लिए उज्जैन, रतलाम, थांदला, दाहोद और वडोदरा होकर यात्रा करनी पड़ती है। यह परियोजना आदिवासी अंचलों सहित लगभग 35 लाख लोगों के लिए बेहतर कनेक्टिविटी और तेज आवागमन का मार्ग प्रशस्त करेगी।
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