पेट और पाचन से जुड़ी बीमारियां अब केवल आम घरेलू परेशानी नहीं रहीं — ये जटिल, दीर्घकालिक और कभी-कभी जानलेवा भी हो सकती हैं। इन्हीं विषयों को केंद्र में रखकर इंदौर में दो दिनी सम्मेलन आयोजित हुआ, जहाँ देशभर के जाने-माने गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट्स ने अपने अनुभव, रिसर्च और नए इलाज साझा किए।
इस सम्मेलन का आयोजन इंडियन सोसाइटी ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी (ISG) के इंदौर चैप्टर और मेदांता हॉस्पिटल ने मिलकर किया। यह न सिर्फ डॉक्टरों के लिए सीखने का मंच था, बल्कि पाचन स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो रहे बदलावों को समझने का एक अवसर भी था।
अब पेट की जटिल बीमारियों का इलाज भी हो सकता है बिना ऑपरेशन
कुछ मरीजों में पित्त की नली में ऐसी जिद्दी पथरी फंस जाती है जो सामान्य तकनीकों से नहीं निकलती। डॉ. एम टी नूर ने बताया कि अब एंडोस्कोपी के ज़रिए इनका इलाज संभव है, जिससे बड़े ऑपरेशन से बचा जा सकता है।
लिवर को बचाने के लिए स्टेरॉयड नहीं, अब आधुनिक विकल्प
डॉ. अजय जैन और डॉ. रवि राठी ने शराब के कारण होने वाली गंभीर लिवर बीमारियों और अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसी पुरानी बीमारियों के इलाज में बायोलॉजिक्स और स्मार्ट दवाओं की भूमिका पर ज़ोर दिया। अब इलाज ज्यादा सुरक्षित और मरीज़-केन्द्रित हो रहा है।
एसिड रिफ्लक्स सिर्फ सीने की जलन नहीं है!
डॉ. अमित अग्रवाल ने GERD पर विस्तार से बताया — यह बीमारी केवल सीने में जलन नहीं देती, बल्कि भोजन नली को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकती है। इलाज अब केवल पीपीआई दवाओं से नहीं, मरीज की स्थिति के अनुसार तय होता है।
पैंक्रियाज की बीमारियों का एंडोस्कोपिक समाधान
डॉ. भगवान ठाकुर ने समझाया कि पैंक्रियाज की पुरानी सूजन, पथरी या दर्द अब मुंह के रास्ते एंडोस्कोप से नियंत्रित किए जा सकते हैं — बिना सर्जरी, बिना टांके।
वजन घटाने की दवा भी है—but with doctor’s advice only!
मोटापा अब केवल एक ‘डायट’ का मामला नहीं रहा। डॉ. अश्मीत चौधरी ने बताया कि आज वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल सिर्फ विशेषज्ञ की निगरानी में होना चाहिए, वरना फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।
भोजन नली की गतिशीलता से लेकर जानलेवा रक्तस्राव तक—हर पहलू पर चर्चा
डॉ. शुभम मेहता ने “अकैलेज़िया” जैसी दुर्लभ स्थिति पर चर्चा की, जिसमें मरीज को भोजन निगलना कठिन हो जाता है।
वहीं, डॉ. एच पी यादव और डॉ. रवींद्र काले ने भोजन नली से होने वाले अचानक रक्तस्राव की गंभीरता को समझाते हुए उसके तत्काल इलाज के तौर-तरीकों पर बात की।
H. Pylori –
डॉ. अतुल शेंडे ने बताया कि पेट के बैक्टीरिया H. pylori के इलाज में अब दवाओं का बेअसर हो जाना एक आम समस्या बन गई है। सही टेस्ट, सही दवा और पक्का इलाज ही इसका हल है।
सम्मेलन का संदेश: तकनीक, समझ और संवेदनशीलता से पाचन स्वास्थ्य की नई राहें खुल रही हैं
समापन सत्र में ISG इंदौर चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. एच पी यादव और आयोजन सचिव डॉ. अरुण भदौरिया ने सभी वक्ताओं, विशेषज्ञों और डॉक्टरों का आभार जताया। इस सम्मेलन ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब पाचन स्वास्थ्य में सिर्फ दवा या सर्जरी ही नहीं, बल्कि मरीज-केन्द्रित सोच और नवीन तकनीक का संयोजन ही आगे का रास्ता है।
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