पिछले माह इंदौर के महाराजा तुकोजीराव हॉस्पिटल (MTH) में जन्मी दो सिर वाली दुर्लभ नवजात ने गुरुवार को दम तोड़ दिया। जन्म के बाद उसे दो हफ्ते तक स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (SNCU) में वेंटिलेटर सपोर्ट और मां के दूध के सहारे जिंदा रखा गया था। डॉक्टरों ने जन्म से ही उसकी जीवित रहने की संभावना बेहद कम बताई थी।
यह बच्ची पैरापैगस डायसेफेलस नामक दुर्लभ स्थिति से पीड़ित थी, जिसमें शरीर एक लेकिन सिर दो होते हैं। उसके फेफड़े, हाथ-पैर जैसे अधिकतर अंग एक ही थे, लेकिन दो दिल मौजूद थे, जिनमें से एक खराब और दूसरा कमजोर था। परिवार ने डॉक्टरों की सलाह के खिलाफ 6 अगस्त को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर घर ले लिया, जहां गुरुवार को उसकी मौत हो गई।
डॉक्टरों के अनुसार, इस स्थिति में सर्जरी संभव नहीं थी और ऐसे मामलों में जीवित रहने की संभावना 0.1% से भी कम होती है। आमतौर पर ऐसे शिशु जन्म के 48 घंटे से अधिक जीवित नहीं रह पाते, लेकिन यह बच्ची 16 दिनों तक संघर्ष करती रही। यह मामला चिकित्सकों के लिए एक महत्वपूर्ण केस स्टडी बन गया।
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